आसान नहीं है खेतिहर मजदूर से हुंडई कार कंपनी के मालिक बनने का सफर

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Pranam India

रोजाना 17 घंटे खेतों में काम करके भी दो वक्त का भोजन ना जुटा पाने वाले एक अनपढ़ लड़के का कई लाख करोड़ की कार कंपनी हुंडई का मालिक बनने का सफर बहुतो के लिए अविश्वसनीय कहानी जैसा हो सकता है।

यह हुंडई के संस्थापक चांग जू-युंग का जन्म 1915 में कोरिया के एक छोटे से गांव में हुआ था और उनका सपना सिर्फ स्कूल का अध्यापक बनना था ताकि आराम से अपने परिवार को दो जून की रोटी खिका सकें लेकिन गरीबी की वजह से वो ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सके।

बचपन में उन्हें अपने परिवार के साथ खेतों में काम करना पड़ता था, लेकिन इतनी मेहनत करने के बाद कभी-कभी परिवार खाना भी नहीं खा पाता था।

एक दिन इस बच्चे को पता चला कि पास के एक शहर में एक बड़ी कंस्ट्रक्शन साइट पर मजदूरों की जरूरत है तो गरीबी से उबरने के लिए 1932 में 16 साल की उम्र में चुंग 160 किमी पैदल चलकर उस साइट पर पहुँचे और कोवन शहर में मजदूरी करने लगे।

दो महीने बाद उनके पिता ने ढूंढ लिया और उसे फिर से खेती में वापस आना पड़ा लेकिन अब तक सिविल इंजीनियरिंग के प्रति उनमें जुनून जाग चुका था इसीलिए उसने दो बार भागने की कोशिश की लेकिन हर बार, उसके पिता ने उसे ढूंढ लिया।

आख़िरकार, 1934 में, 18 साल की उम्र में, उन्होंने चौथी बार भागने का प्रयास किया और इस बार, किसी ने उन्हें नहीं रोका।

वह सियोल पहुंचे जो आज दक्षिण कोरिया की राजधानी है और वहां उन्हें जो भी काम मिला, उन्होंने किया।

उन्हें बोखयांग राइस स्टोर में डिलीवरी बॉय की नौकरी मिल गई और दुकान के मालिक उसके काम से इतने प्रभावित हुए कि केवल छह महीने में वह स्टोर का मैनेजर बन गया।

1937 में, स्टोर का मालिक गंभीर रूप से बीमार पड़ गया और उसने एक चुंग की कड़ी मेहनत को देखते हुए उसे स्टोर सौप दिया।

22 साल की उम्र में चुंग एक कर्मचारी से व्यवसाय के मालिक बन गए थे और दो साल सबकुछ ठीक रहा पर अचानक द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो गया और जापान ने कोरिया पर कब्जा कर लिया।

जापान को युद्ध के दौरान सेना के लिए ज्यादा चावल चाहिए चुंग की चावल की दुकान सहित कोरिया की सभी चावल की दुकानों को अपने कब्जे में ले लिया।

सारी मेहनत एक ही बार में नष्ट हो गई पर चांग ने हार नहीं मानी और अब उन्होंने कार मरम्मत व्यवसाय शुरू कर दिया।

1940 में, उन्होंने 3,000 वॉन का ऋण लिया और एक एडो सर्विस गैरेज खोला लेकिन इस बार वह इतना दुर्भाग्यशाली रहा कि गैराज खुलने के एक महीने बाद ही जल गया और सब कुछ जलकर राख हो गया पर वो फिर भी नहीं टूटे और 3,500 वॉन का एक और ऋण लिया और एक और भी बेहतर गैरेज बनाया।

गैराज इतना सफल रहा कि अगले 3 वर्षों में, यानी 1943 तक, उनके कर्मचारियों की संख्या 80 तक बढ़ गई और चुंग ने सभी ऋण चुका दिए थे और परिवार को सियोल में बसा लिया।

कारोबार तेजी से बढ़ रहा था लेकिन तभी एक और आफत आ गई और द्वितीय विश्व युद्ध के लिए जापान ने गैराज का स्वामित्व लेकर उसे एक इस्पात संयंत्र के साथ विलय कर दिया।

अब चांग गाँव लौटने के लिए मजबूर हुए लेकिन इस बार, उनकी जेब मे 50,000 थे।

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के साथ ही कोरिया को उत्तर और दक्षिण कोरिया मे विभाजित कर दिया गया और चुंग ने1946 में सियोल से कार मरम्मत व्यवसाय फिर से शुरू किया और नाम रखा “हुंडई ऑटो सर्विस” क्योकि हुंडई का मतलब होता है आधुनिक।

अब, 1947 में 31 साल की उम्र में उन्होंने हुंडई सिविल वर्क्स कंपनी बनाई और निर्माण व्यवसाय में प्रवेश किया और 1950 के दशक तक उनकी कंपनी को बड़े निर्माण प्रोजेक्ट मिलने लगे और यही उनका प्रमुख व्यवसाय हो गया।

जून 1950 में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर हमला कर दिया और चुंग को भी अपनी सारी बचत लेकर पुसान भागना पड़ा लेकिन1952 में युद्ध ख़त्म हो गया, लेकिन चुंग को अमेरिका से ठेके मिलते रहे. बाद में, देश के पुनर्निर्माण के लिए, दक्षिण कोरियाई सरकार ने तेजी से पुल, बांध और सड़कों का निर्माण शुरू किया। हुंडई ने इस सब में एक प्रमुख भूमिका निभाई और व्यवसाय में तेजी से वृद्धि की।

चल रहा था और उन्हें कई समस्याओं और कई नुकसानों का सामना करना पड़ा लेकिन 1952 में युद्ध ख़त्म होने के बाद दक्षिण कोरियाई सरकार ने तेजी से पुल, बांध और सड़कों का निर्माण शुरू किया तो हुंडई ने इस सब में प्रमुख भूमिका निभाई और कारोबार में तेजी से वृद्धि की।

दक्षिण कोरिया का सबसे बड़ा बांध, सोयंग बांध और सबसे महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे, क्यूंगबू एक्सप्रेसवे हुंडई द्वारा बनाए गए थे।

1967 में चुंग ने हुंडई मोटर कंपनी की स्थापना की और1968 में उनकी फोर्ड के साथ एक डील हुई थी जिसमें वह कॉर्टिना कारों को असेंबल करने वाले थे।

यह संयुक्त उद्यम दो वर्षों तक चला पर 1973 में चुंग ने उस साझेदारी को ख़त्म कर दिया और जापान की मित्सुबिशी मोटर्स के साथ साझेदारी करके कार कंपनी शुरू की और आज हुंडई दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कार कंपनी है और केवल 2022 में, उन्होंने लगभग 40,000,000 कारें बेची हैं।

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