पटना हाईकोर्ट ने उस शख्स की फांसी की सज़ा माफ कर दी है जिसकी पहली सुनवाई मे इसी हाईकोर्ट ने सज़ा बरकरार रखी थी।
हैरान करने वाली बात यह है कि इस केस को निचली अदालत ने को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर करार दिया था पर अब हाई कोर्ट ने आरोपी मुन्ना पांडे की फांसी की सजा रद्द करके उसे बाइज़्ज़त बरी कर दिया है।
यह मामला साल 2015 का है जिसमें 2 साल तक की सुनाई के बाद 2017 में आरोपी को फांसी की सजा दी गई थी और हाईकोर्ट ने भी पहली बार सज़ा बरकरार रखी थी पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर फिर से सुनवाई करते हुए जस्टिस आशुतोष कुमार और जस्टिस आलोक कुमार पांडेय की पीठ ने मुन्ना पांडेय को इस आधार पर बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष ने सिर्फ संदेहों के आधार पर पूरा केस बनाया और एक भी पुख्ता प्रमाण पेश नहीं किया जा सका है।
यह मामला अदालतों मे किस तरह से गलत फैसले भी किये जा सकते है यह इसकी मिसाल है।