बंगाल चुनावों मे जो दांव मिसफायर कर चुका है उसे भाजपा एक बार फिर मध्यप्रदेश के विधान सभा चुनावों मे आजमा रही है।
बंगाल मे ममता बनर्जी को ध्वस्त करने की कोशिश मे भाजपा ने अपने सांसदों सहित केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को विधानसभा चुनावों मे उतार दिया था पर तब यह प्रयोग न सिर्फ जबरदस्त फेल रहा बल्कि बाबुल सुप्रियो ने तृणमूल का ही दामन थाम लिया।
अब भाजपा यही प्रयोग मध्यप्रदेश चुनावों मे दोहराने जा रही है जहाँ उसने अपनी दूसरी सूची मे तीन केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते के साथ साथ संगठन के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भी उसी सीट से विधान सभा चुनावों मे उतार दिया है जिस पर वो अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे।
जाहिर है भाजपा के इस पैतरे को लेकर राजनीतिक हलको मे तमाम कयास लगाए जा रहे है और कोई इसे कांग्रेस को धवस्त करने वाली चाल बात रहा है तो कोई इसे सत्ता विरोधी हवा को देखकर भाजपा की बौखलाहट।
इतना ज़रूर माना जा रहा है कि इन फैसलो से साफ है कि उस बार भाजपा ने यह संकेत ज़रूर दे दिया है कि शिवराज सिंह चौहान अब मुख्यमंत्री पद के निर्विवाद उम्मीदवार नहीं रह गए हैं साथ ही यह चर्चा भी चल निकली है कि कहीं भाजपा ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी विधान सभा चुनाव न लड़वा दे।