सुप्रीम कोर्ट ने आज मणिपुर में महिलाओं को बेइज्जत किया जाने की घटना को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर सवालों की झड़ी लगा दी और मुख्य न्यायाधीश ने सरकार से पूछा की 4 मई की घटना का वीडियो वायरल हो गया फिर भी पुलिस को एफ आई आर दर्ज करने में 14 दिन क्यो लगे?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने महाधिवक्ता तुषार मेहता से पूछा कि पुलिस को एफ आई आर दर्ज करने से कौन रोक रहा था और जाति हिंसा की इस घटना के अलावा भी मणिपुर में लगातार घटनाएं हो रही थी उनको लेकर अभी तक कितनी एफ आई आर दर्ज की गई है ।
इस पर तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि महिलाओं की नग्न परेड कराए जाने की घटना 18 मई को सामने आई थी और उसी दिन एफ आई आर दर्ज करके 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया ।
इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि राज्य में जो 6000 एफआईआर दर्ज हुई है उसमें कितनी महिलाओं से संबंधित हैं और उसमें कितनी महिलाएं शामिल है।
अदालत ने सरकार से भी पूछा दर्ज किए जाने के भी एक महीने बाद यानी 20 जून को मजिस्ट्रेट के पास क्यों भेजी गई।
शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा इतनी लापरवाही के बाद अगर सुबूत नष्ट कर दिए गए होंगे तो उसकी जिम्मेदारी कौन देगा और क्या सीबीआई इस पूरे मामले किस जांच करने के लिए तैयार है?
इस बीच वह दोनों महिलाएं भी आज सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है जिनकी मणिपुर में भीड़ ने नग्न परेड कराई थी अदालत ने इन महिलाओं की पहचान छुपाने के लिए इन्हें एक्स और वाई कहकर संबोधित करने के निर्देश दिए हैं
उधर एक अन्य महिला वकील ने मणिपुर की घटना पर याचिका दाखिल करते हुए दूसरे राज्य में हो रही ऐसी घटनाओं को लेकर अदालत का रुख किया जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि देश में कहीं भी महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहा है तो यह हमारी सामाजिक स्थिति पर सवाल तो है लेकिन इसकी आड़ में मणिपुर की घटना की सुनवाई रोकी नहीं जा सकती उन्होंने उस वकील से पूछा कि मणिपुर को लेकर अगर आपके पास कोई सुझाव है तो वह बताइए आपके मुद्दे पर हम बाद में विचार करेंगे।