टेरर फंडिंग में उम्र कैद की सजा काट रहा जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का प्रमुख यासीन मलिक अचानक तिहाड़ जेल से सुप्रीम कोर्ट अपने मुकदमे की पैरवी करने के लिए खुद पहुंच गया।
उसे अचानक सुप्रीम कोर्ट में देखकर जज सूर्यकांत और दीपंकर दत्ता के साक्षात महाधिवक्ता तुषार मेहता भी आश्चर्यचकित रह गए और खचाखच भरे कोर्ट रूम में भगदड़ जैसा माहौल बन गया।
महाधिवक्ता तुषार मेहता ने भी कहा इस तरह किसी आतंकी का सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाना आश्चर्य की बात है क्योंकि अगर कोई अपराधी अपने मुकदमे की पैरवी के समय अदालत आना चाहता है तो उसकी एक प्रक्रिया है जिसे यहां पूरा नहीं किया गया ।
बाद में उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव को पत्र लिखकर तिहाड़ जेल में हुई इस भयंकर सुरक्षा चूक पर नाराजगी जताई और कहा कि अगर अदालत के रास्ते में या आतंकी भाग जाता या उसकी हत्या कर दी जाती तो कौन जिम्मेदार होता ।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने यासीन मलिक के खिलाफ एक आदेश पारित किया था जिसके विरोध में उसने शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर अपने मामले की पैरवी खुद करने का अनुरोध किया था जिस पर अभी कोई फैसला भी नहीं हुआ था।