केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जांचमें गंगा नदी के प्रदूषण को लेकर बेहद डरावना खुलासा हुआ है.
संस्थान ने इसी साल मार्च के महीने में उत्तराखंड से लेकर यूपी, बिहार होते हुए झारखंड और पश्चिम बंगाल के 94 जगहों से गंगा जल की जांच की थी.
प्रदूषण बोर्ड की टीम को आगे बढ़ी तो नालों से प्लास्टिक, कूड़ा करकट, जले हुए शव और कंकालों के हिस्से मिले है.
रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई गई कि गंगा नदी के पानी को पीना तो दूर उससे नहाना भी मुश्किल है.
गंगा में कोलीफॉर्म जीवाणुओं की कुल संख्या करीब 35 हजार के पार थी, जबकि ये संख्या अधिकतम 5000 होनी चाहिए थी.
बढ़े हुए कोलीफॉर्म की मुख्य वजह बगैर ट्रीटमेंट किए शहर के सीवेज को सीधे गंगा नदी में गिराया जाना है.
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस से बिहार के बेगूसराय के बीच 500 किलोमीटर की दूरी में गंगा और इसकी उप धाराओं के पानी में 50 से ज्यादा केमिकल्स पाए गए हैं.
मोदी सरकार ने गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे’ प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी.
करीब 9 साल बाद 13 फरवरी 2023 को केंद्रीय जल शक्ति (जल संसाधन) राज्य मंत्री विश्वेश्वर टुडू ने संसद को बताया था कि नमामि गंगे कार्यक्रम गंगा नदी में प्रदूषण को कम करने में कारगर रहा है जबकि पॉल्यूशन बोर्ड की रिपोर्ट कुछ और ही कहानी कहती है.