एक अजीबो गरीब खबर यह आ रही है कि कोविड के खौफ के माहौल में छोटी बच्चियों की शादी की दर दुनिया भर में खास तौरपर दक्षिण एशिया में काफी बढ़ गई है।
ऐसा हाल ही हुए एक सर्वे से पता चला है कि वजह और मजबूरियां अलग अलग रहीं ही पर तमाम परिवारों ने हालत से मजबूत होकर जवान होने से पहले ही अपनी बेटियों की शादी कर डाली।
यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण एशिया खासकर बांग्लादेश, भारत और नेपाल में 16 कोविड में लगे लॉकडाउन के दौरान बच्चियों की पढ़ाई लिखाई बंद हो गई थी इसलिए माता-पिता ने अपनी बेटियों के लिए शादी ही सबसे अच्छा विकल्प समझा और इसमें उन्होंने उनकी उम्र की भी परवाह नहीं की।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि महामारी के दौरान परिवारों पर वित्तीय दबाव इतना बढ़ गया था कि घर का खर्च कम करने के लिए बेटियों की कच्ची उम्र में शादी कर देना ही बेहतर लगा।
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में शादियों की उम्र लड़के के लिए न्यूनतम २१ और लड़कियों के लिए १८ है पर शहरी क्षेत्रों में बाल विवाह में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसमें गिरावट आ रही है।
देश में 15 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी का दर तो घटी है, लेकिन 15 से 18 साल के बीच शादी करने वाली लड़कियों की दर में बढोत्तरी हुई है।
एक अन्य सर्वे के मुताबिक देश में 21 प्रतिशत बाल विवाह 70 जिलों में हो रहे हैं जिनमे महाराष्ट्र के 16 जिले शामिल हैं जबकि यह देश का तीसरा सबसे अमीर प्रदेश है।
भारत के नौवें सबसे गरीब राज्य राजस्थान में अभी भी 10-17 वर्ष की आयु में लड़कियों और 10-20 वर्ष की आयु के लड़कों की शादी कर दी जाती है।