सूचना के अधिकार से हुए बड़े खुलासे में पता चला है कि असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में बाघों के संरक्षण की एक करोड़ से ज्यादा की रकम पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविद के पिछले साल फरवरी में हुए नेशनल पार्क के दौरे में उनके ऐशोआराम पर खर्च कर दिए गए बिना यह चिंता किए की बाघ मरेंगे या जिएंगे और इसके बाद उनका क्या होगा।
यह खुलासा हुआ है सूचना के अधिकार के तहत एक्टिविस्ट रोहित चौधरी मांगी गई सूचना के जवाब में नेशनल पार्क के डायरेक्टर द्वारा दिया गए जवाब से।
डायरेक्टर ने माना है कि बाघ संरक्षण की कुल एक करोड़ दस लाख की रकम डायवर्ट करके पिछले राष्ट्रपति के दौरे के समय उनके आराम पर खर्च किए हुए।
सूचना के अधिकार के तहत १८ मई को मांगी गई सूचना का जवाब निदेशक ने ३० नवंबर को दिया और बताया कि एक लाख से ज्यादा की रकम पूर्व राष्ट्रपति के चाय नाश्ते और ५१ लक की रकम सज सज्जा, एयर प्यूरीफायर से लेकर उनके आराम के लिए कई जगह टेंट लगाकर वहां इंतजाम करने और शेष रकम उन्हे घूमने फिराने पर खर्च हुई।
एक सींग वाले गेंडे के सरक्षण के लिए मशहूर इस पार्क में बाघों को बचाने की लड़ाई भी लड़ी जा रही है अत कानून के तहत फंड का नब्बे फीसदी पर्यावरण की बेहतरी में खर्च होना चाहिए।
अब सरकार इसकी जांच करने को कह रही है पर सोशल मीडिया प्रशांत भूषण और तमाम लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।