भारत की जनसंख्या को लेकर किया जाने वाला यह दुष्प्रचार आंखों से भी झूठा साबित हो चुका है कि देश में मुस्लिमों की आबादी हिंदुओं से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ती है ।
ताजा आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिम बहुल राज्यों में भी आबादी बढ़ने की रफ्तार देश की औसत रफ्तार से कहीं कम है ।
इस समय भारत की जनसंख्या लगभग स्थिर हो चुकी है क्योंकि देश की प्रजनन दर 2.05 है जबकि मुस्लिम बहुल राज्यों में यह अधिकतम 1.8 फ़ीसदी ही है यानी आबादी अब बढ़ने की बजाय स्थिर हो गई है।
भारत के 36 प्रदेशों में से 31 में प्रजनन दर 2.1 से भी कम है जिसमें जम्मू कश्मीर, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी शामिल हैं।
पिछले तीन दशकों में मुस्लिम सबको में जहां बच्चे पैदा करने की रफ्तार 46 से अधिक तक कम हुई है वही हिंदुओं में यह आंकड़ा 42 फीसदी का ही है ।
प्रजनन दर की गणना किसी भी महिला द्वारा अपने जीवन काल में पैदा किए गए बच्चों की संख्या से तय होती है।
प्रजनन दर के हिसाब से बिहार , झारखंड और मेघालय इस समय देश में शीर्ष पर हैं वित्तीय सरकारी आंकड़े साफ करते हैं की आबादी बढ़ने की रफ्तार का धर्म से नहीं बल्कि शिक्षा और जागृति से सीधा सरोकार है।