दो हजार रुपयों के नोटों को केंद्र द्वारा वापस लिए जाने को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो तल्ख लहजे में कहा है कि मोदी सरकार का यह फैसला तो थूककर चाटने जैसा है।
भूपेश बघेल ने कहा है कि 2016 में दो हजार रुपये के नोट जारी करते समय दावा किया गया था कि इनसे काला धन खत्म होगा क्योंकि इन्हे छुपाया नहीं जा सकता पर कालाधन तो खत्म नहीं हुआ बेचारे इन नए नोटों की सरकार ने हत्या की प्लानिंग कर ली है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से पूछा है कि इन नोटों को क्या पिछला पाप धोने के लिए बंद किया जा रहा है और पीएम मोदी जापान यात्रा से पहले ही नोट बंदी क्यों करते हैं दोनों में क्या रिश्ता है.
वैसे आंकड़ों के अनुसार दो हजार का एक नोट छापने में 3.95 रुपए का खर्चा आता है और मोदी सरकार ने अब तक इस तरह के कुल 370 करोड़ नोट छापे थे जिसमें 2016-17 में 350 करोड़ नोट , 2017-18 में 15.10 करोड़ और 2018-19 में 4.70 करोड़ नोट छापे गए जबकि इसके बाद ऐसा एक भी नोट नहीं छपा और इस तरह दो हजार के नोट छापने पर कुल 1461 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।