पाकिस्तान की लाहौर हाईकोर्ट ने अंग्रेजों के समय के उस राजद्रोह कानून को गैर जरूरी बताते हुए रद्द कर दिया जिसके तहत देश और राज्य की सरकारों की आलोचनाओं को अपराध माना जाता था।
लाहौर हाई कोर्ट ने पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 124A के प्रावधानों को रद्द घोषित कर दिया, जिसे “राजद्रोह कानून” कहा जाता है ।
उधर पड़ोसी मुल्क में हुए इस फैसले के बाद भारत में एक बार फिर इसी तरह का कानून लागू रहने के खिलाफ आवाजें एक बार फिर उठी हैं।
कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा कि मैंने 2014 में एक प्राइवेट बिल लाकर इस कानून को काम करने की मांग की थी और कांग्रेस ने भी 2019 के घोषणा पत्र में राजद्रोह कानून में संशोधन किए जाने को लेकर तर्क दिए गए हैं क्योंकि अनुभव बताता है कि ज्यादातर इसका गलत इस्तेमाल ही होता है।
ऐसे भारत में पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून के इस्तेमाल पर यह कहते हुए कुछ बंदिशे लगाई हैं कि केंद्र सरकार जब तक किसी मामले की समीक्षा न कर ले, तब तक राजद्रोह कानून के तहत कोई मुकदमा दर्ज न किया जाए।