देश में सबसे ज्यादा प्याज की पैदावार करने वाले राज्य महाराष्ट्र के किसान एक बार फिर खून के आंसू रोकर अपने ही खून से राज्य सरकार को पत्र लिखने को मजबूर हो रहे हैं, वो भी यह जानते हुए कि उनके ऐसे किसी पत्र का जवाब नहीं आने वाला।
सच्चाई यह है कि प्याज किसानों के घरों पर इस समय मातम जैसा माहौल है क्योंकि एक पखवारे में उनकी फसल के दाम अचानक इतने गिर गए है कि वो समझ ही नही पा रहे कि अब वो करे क्या? औने पौने दाम में अपनी मेहनत बेच दे तो फिर खायेंगे क्या?
इस समय नासिक मंडी में प्याज के दाम साढ़े छह सौ से सात सौ क्विंटल तक आ गए हैं जबकि प्याज की उत्पादन लागत ही ग्यारह सौ रुपए क्विंटल से कम की नहीं आती और उसे मंडी तक लाने का खर्चा अलग से।
महाराष्ट्र सरकार हालांकि दावा कर रही है कि किसानों को आत्महत्याओं से बचाने के लिए उसने नेफेड के माध्यम से राज्यभर में प्याज की खरीद शुरू की है पर किसान इसे किताबी दावे बताते हैं।
किसानों की मांग है कि सरकार किसान के न्यूनतम दाम ग्यारह सौ रूपया प्रति क्विंटल तय करे ताकि किसान घाटा सह ले पर आत्महत्या के लिए तो मजबूर न हो।
वैसे दुनिया के कई देशों में इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर भारतीय प्याज को अपने बाजारों से बाहर करने के खिलाफ केंद्र सरकार को आवाज उठाने की ज़रूरत है क्योंकि यह भी प्याज के दाम अचानक गिरने की बड़ी वजह है।