राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच का झगड़ा अब एक दूसरे को मिटा देने की हद तक आगे बढ़ चुका है और अब राजस्थान की राजनीति में यह सवाल भी पूछा जा रहा है क्या आखिर दोनों में से कौन दूसरे को पढ़कर नहीं देगा और कौन जेल जाएगा।
मोदी के मंत्री ने अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर रखा है उसने मुख्यमंत्री को ना फिर बैकफुट पर ला दिया है बल्कि इस मानहानि के मुकदमे में सीएम को यह डर भी सता रहा है कि कहीं राहुल गांधी की तरह अदालत उन्हें भी 2 साल से ज्यादा की सजा ना सुना दे।
इस मुकदमे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिल्ली की अदालत में आज 7 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना बयान दर्ज करवाना है वही गजेंद्र शेखावत के खिलाफ सक्रिय राजस्थान पुलिस 900 करोड़ के संजीवनी सोसायटी घोटाले में सबूत पर सबूत जुटाकर उन्हें और उनके परिवार को जेल भेजने पर उतारू है।
दरअसल दोनों कद्दावर नेताओं के बीच झगड़ा उस समय का है जब शेखावत ने सचिन पायलट को हवा देकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार गिराने की कोशिश की थी और इस काम में आरोप है कि पूर्व मुख्यमंत्री विजय राजे सिंधिया ने बजाय अपनी पार्टी का साथ देने के अशोक गहलोत की मदद की थी इसलिए इस पूरे घटना में विजय राजे सिंधिया का भी एंगल शामिल है।
यह झगड़ा 2019 में तब और बढ़ गया जब शेखावत ने अशोक गहलोत के लड़के को जयपुर से लोकसभा चुनाव में हरा दिया और फिर संजीवनी घोटाले में अशोक गहलोत ने शेखावत के साथ-साथ उनके पूरे परिवार को सवालों के घेरे में घेरे में ला दिया
भाजपा की तरफ से इस घोटाले की जांच में राजस्थान पुलिस को कमजोर करने की कोशिश मध्य प्रदेश को शामिल करके जरूर की गई और मध्य प्रदेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके इस घोटाले की जांच केंद्रीय स्तर पर करवाने की मांग की क्योंकि इसके कुछ पीड़ित मध्य प्रदेश के भी हैं पर शिवराज सिंह चौहान की यह दाल सुप्रीम कोर्ट में नहीं गली और सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर इस मांग को खारिज कर दिया की सीबीआई पहले ही उनकी दलील के खिलाफ अदालत में बयान दे चुकी है।
अब देखना यह है राजस्थान के इन दो बड़े नेताओं की यह जंग आने वाले दिनों में भारतीय राजनीति में कौन सा नया गुल खिलाती है।