लोक नीति और सीएसडीएस द्वारा किया गया एक सर्वेक्षण बताता है कि तीन चौथाई पत्रकार अब मानते है कि तो निष्पक्ष नहीं रह गया है देश का मीडिया और मीडिया घरानों का रुझान एक ही पार्टी के पक्ष मैं ज्यादा है।
इस सर्वे की रिपोर्ट आज ही जारी की गई है जो यह बताती है कि देश के 82 प्रतिशत पत्रकार स्वीकार करते हैं कि ज्यादातर मीडिया घरानों का दबाव भाजपा के पक्ष में खबरें लिखने पर है
टेलीविजन अखबार और डिजिटल मीडिया से जुड़े देश के 200 से ज्यादा पत्रकारों से बातचीत के बाद तैयार किए गए सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि भाजपा के पक्ष में खबरें लिखने का दबाव अंग्रेजी अखबारों के मुकाबले हिंदी अखबारों में कुछ ज्यादा है
सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि कॉमेडी आवाज लगभग हर मीडिया घराना कॉस्ट कटिंग के नाम पर छटनी और रिपोर्टिंग के खर्चे घटाने का शिकार हुआ है
हांलाकि मीडिया धर्म के आधार पर खबरों में क्या भेदभाव करता है इस सवाल पर मामला बराबर का है और जितने पत्रकार मानते हैं यह भेदभाव होता है उसने ही मानते हैं कि नहीं होता यह जरूर है कि पत्रकार यह खुले दिल से स्वीकार करते हैं कि आप निष्पक्ष काम करने जैसा माहौल मीडिया में नहीं रह गया है।