सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से पूछा है कि अगर उसके निर्देशों के तहत सरकार मैला ढोने वालों के पुनरुद्धार की योजना पर काम कर रही है तो ऐसे लोगों की संख्या कम होने के बजाय लगातार बढ़ क्यों रही है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस रविंद्र भट्ट और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने एडीशनल सॉलीसीटर जनरल ऐश्वर्या से पूछा चित्रकार ने पिछली बार अदालत को बताया था कि तब हुए सर्वेक्षण में मेला ढूंढने वालों की संख्या 4000 है जब सरकारी कह रही है कि उनकी संख्या बढ़कर 44000 हो चुकी है सरकार अगर इन लोगों के पुनरुद्धार का काम कर रही है तो इनकी संख्या घटने के बजाय बढ़ क्यों रही है।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि केवल उड़ीसा और छत्तीसगढ़ सरकारों ने इन लोगों की पहचान के लिए सर्वेक्षण कराने गए थे गंभीर कदम उठाए हैं बाकी किसी सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है।
इस पर अदालत ने पूछा कि क्या सरकार यह मान कर बैठी है यह लोग खुद आकर बताएंगे कि वह दूसरों का मेला ढूंढने का काम कर रहे हैं और अगर ऐसा है तो मान लीजिए फिर नौकरी खोने का डर से वह कभी सामने नहीं आएंगे ।
अदालत को यह भी बताया गया कि केंद्रीय स्तर पर जो एजेंसियां इस अमानवीय प्रथा को समाप्त करने में लगाई गई है उनकी भूमिका सिर्फ निगरानी करने पर की है क्योंकि उनके पास कोई अतिरिक्त अधिकार नहीं है।
इसके बाद अदालत ने आज हुई सुनवाई को आंशिक सुनवाई का दर्जा देते हुए इस मामले पर 27 जुलाई को फिर सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं।