मणिपुर में आदिवासी बनाम गैर आदिवासी समुदाय के बीच हिंसक झड़पों से परेशान ओलम्पिक पदक विजेता मेरी काम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भावनात्मक पत्र लिखकर उनसे कहा है कि मेरा मणिपुर जल रहा है , दुर्भाग्य से कई लोगों ने इस हिंसा में अपनों को भी खो दिया है … पीएम सर जितनी जल्दी हो सके मेरे मणिपुर को बचा लिजिए.
महिला बॉक्सिंग में भारत के लिए ओलिंपिक का ब्रॉन्ज जीतने वाली मैरीकॉम ने हिंसा की कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर कीं।
उधर आरक्षण के मुद्दे पर भड़की इस हिंसा के लगातार बेकाबू होने के बाद अब हिंसाग्रस्त इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए हैं और राज्य में अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं भी रोक दी गई हैं.
आर्मी और असम राइफल्स की 55 टुकड़ियों के साथ-साथ रैपिड एक्शन फोर्स की टुकड़ियां हिंसाग्रस्त इलाकों में तैनात की गई हैं और 9000 से ज्यादा लोगों को राहत कैंपों में शिफ्ट किया गया और राज्य के इम्फाल पश्चिम, कैकचिंग थोऊबल, जिरिबाम, बिश्नुपुर, चूड़ाचंदपुर, कांगपोकपी और तेनग्नोउपाल में कर्फ्यू लागू किया गया है.
दरअसल यह हिंसा तब भड़की जब आरक्षण की मांग को लेकर ऑल इंडिया ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ने बुधवार को ट्राइबल सॉलिडेरटी मार्च बुलाया.
इसी दौरान आदिवासी और गैर-आदिवासी समुदायों में झड़प हो गई क्योंकि आदिवासी समुदाय भी गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को शेड्यूल ट्राइब में शामिल किए जाने का विरोध करने के लिए सड़कों पर निकल आया.
आरोप है कि बांगलादेश और म्यांमार से आए मैतेई समाज एक गैर-आदिवासी समुदाय है और इसे अभी भी राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने का अधिकार नहीं है पर अब राज्य में इनकी आधी से ज्यादा आबादी है.
मणिपुर घाटी में रहने वाला यह समुदाय पिछले 10 साल से एसटी में शामिल किए जाने की मांग कर रहा है और अब तो मणिपुर हाईकोर्ट ने भी मैतेई समुदाय को चार महीने के भीतर एसटी में शामिल करने की केंद्र को सिफारिश भेजने के निर्देश राज्यसरकार को दे दिए हैं.