सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों वाली संवैधानिक पीठ ने कहा है कि अगर पति पत्नी के संबंधों में है सुधार की कोई गुजांइश नहीं है तो तलाक के लिए शादी के क़ानून में दी गई प्रतीक्षा अवधि का इंतजार करने की भी ज़रूरत नहीं है और ऐसे मामलो में तुरंत तलाक दे दिया जाना चाहिए।
जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एएस ओक, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेके माहेश्वरी के संविधान पीठ ने ये अहम फैसला दिया है कि बिना फैमिली कोर्ट में जाए सुप्रीम कोर्ट के पास ऐसी शादियों को समाप्त करने का अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल बहुत सोच समझकर करना चाहिए लेकिन न्याय के हित में यह जरूरी है कि ऐसी शादी जिसमे सुधार की गुंजाइश ही न हो उसे समाप्त करने का फैसला लेना ही न्यायोचित है भले ही कोई एक पक्ष तलाक नहीं लेना चाहता हो।
पीठ ने 29 सितंबर, 2022 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे अब सुनाया गया है।