खालिस्तान के पैरोकार अमृतलाल को असम की जिस डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया है उसे उसके लिए इस तरह से तैयार किया गया है कि किसी भी तरह की साजिश करना तो दूर वो सोच तक नहीं सकता।
1869में बनी इस जेल की सुरक्षा व्यवस्था इतनी पुख्ता है कि इसे अलगाववादियों के लिए हर तरह से फिट माना जाता है और अमृत पाल और उसके साथियों के पहले भी यहां उल्फ़ा अलगाववादियों को रखा जा चुका है।
वैसे भी इस जैलबकी खासियत है कि यहां बिना इजाजत तो परिंदा भी पर नहीं मार सकता है और जिन बैरकों में अमृतपाल और उसके साथियों को रखा गया है, वहां की सुरक्षा इतनी सख्त कर दी गई है कि इन तक किसी को भी सीधे पहुंचना असंभव है।
जेल के गेट से अमृतपाल की बैरक तक लगभग 60 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिसमें 15 और नए कैमरे तो नजर अमृतपाल के पहुंचने से पहले ही लगाए गए हैं।
जेल के चारों ओर करीब 30 फीट से ऊंची दीवारें बनी हैं और यह शायद अकेली ऐसी जेल है जहां कैदियों को ठूस ठूसकर नहीं भरा जाता।
इस जेल में एक साथ 680 कैदी रखे जा सकते हैं और फरवरी महीने से डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल में कुल 445 कैदी बंद थे जिसमे सभी दुर्दांत अपराधी और तीन साल से ज्यादा की सजा पाए कैदी थे।