सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपने पर मोदी सरकार को आड़े हाथों लेते हुए शीर्ष अदालत ने इस तरह के कामों को न्याय के स्वाभाविक सिद्धांतों के ही खिलाफ करार देते हुए इसे बंद करने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में यह भी कहा है कि मीडिया का स्वतंत्र रहना जरूरी है और सरकार की नीतियों की आलोचना करना राष्ट्र विरोधी नहीं करार दिया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट आज एक मलयालम न्यूज चैनल के लाइसेन्स का नवीनीकरण न किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने चैनल की याचिका पर अपना अंतरिम फैसला सुनाते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को चार सप्ताह के भीतर लाइसेंस रिन्यू करने का आदेश दिया है और कहा है कि सवाल पूछना मीडिया का काम है और उसकी खोजपरक रिपोर्ट को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा हवा में नहीं उठाया जा सकता, उसके पीछे ठोस आधार होने चाहिए और लोगों की नजरों से बचते हुए सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट देकर अपना पक्ष रखना यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।