अब आदमी का इरादा चांद पर एक दो घर नहीं बल्कि पूरा हाईटेक गांव बसाने का है और वो भी दो साल के भीतर ही।
ऐसा नहीं है कि यह कोई कोरी कल्पना है बल्कि पिछले पांच सालों की मेहनत ने हमारे वैज्ञानिकों को वो तरीका भी सुझा दिया है जिससे इस कल्पना को साकार किया जा सकता ।
दरअसल चंद्रमा पर इंसानी आबादी बनने की बात पहली बार सात साल पहले सामने आई थी जब यूरोपियन स्पेस एजेंसी के प्रमुख जोहनसन दीट्रिच वोर्नर ने पहली बार मीडिया के साथ यह बात साझा की थी कि उनकी संस्था इस योजना पर काम कर रही है।
अब इतने सालों में शुरुआती काम पूरा ही चुका है और अगले दो सालों में नासा कोई तीस के करीब रॉकेट भेजकर हाईटेक गांव और स्पेस स्टेशन को तैयार करेगा। इन रॉकेटों में रोबोट और मशीनों के साथ साथ एस्ट्रोनॉट भी भेजे जाएंगे।
सबसे बड़ी बात यह है कि वैज्ञानिको ने चंद्रमा पर ऑक्सीजन पैदा करने का तरीका और जुगाड निकाल लिया है और यह है वहां की चट्टानों को रेत में तब्दील करके उनमें मौजूद ऑक्सीजन इंसान के लिए मुक्त की जाएगी।
इस योजना पर काम शुरू करने के लिए यूरोपियन एजेंसी ने एक निजी अंतरिक्ष कंपनी से नब्बे हजार करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट कर लिया है जो जल्दी ही चट्टानों को तोड़ना भी शुरू कर देगी।
हाल ही में जारी दस्तावेजों में यह भी साफ कर दिया गया है कि इस चंद्र गांव के लिए एक एसोसिएशन बनाई जाएगी जिसमें डेढ़ सौ देशों के वैज्ञानिक होंगे।
कहने को तो यह गांव होगा पर यह ना गांव होगा न स्पेस स्टेशन बल्कि इससे कहीं ज्यादा होगा जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए हाल्ट स्टेशन की तरह भी काम करेगा और धरती के बाहर इंसानी मौजूदगी की पहली मिसाल बनेगा।
यह चंद्र गांव चंद्रमा के उस ध्रुव पर बसाया जाएगा जो सूरज के सामने है और इसमें बनने वाले घर सौर विकरण को रोकने वाले और चार लोगों के रहने लायक बनाए जाएंगे।